एक वीर राजपूत की साहस कथा जिसने पृथ्वीराज चौहान की अस्थीया अफ़्घनिस्तान से भारत वापिस लायी
नमस्कार दोस्तो आज हम आपको बताने वाले है हिंदुस्तान के एक राजपूत के अदम्य साहस की कहानी जिसे डकेट से संसद से बनी फूलन देवी के हत्या के आरोप मे भारत की सबसे हाई-टेक और सबसे बड़े जेल मे भेज दिया गया लेकिन बाकी केदीयो की तरह लेकिन बाकी केदियों की तरह घुट घुट कर ज़िंदगी बिताना उस राजपूत का मकसद नहीं था और उस राजपूत को अपना मकसद पूरा करने से जेलकी उचि उचि चार दीवार भी उसे रोक नही सकती थी और वह अपनी जान हथेली पर लेकर पहोच जाता एक खतरनाक गेर मुल्क जहा इंतज़ार कर रहा था उसके ज़िंदगी का असली मकसद फिर खतरो से खेलते हुए वोह अपना मकसद पूरा करते हुए वापिस लोटता हे अपने देश हिंदुस्तान मे और फिर चले जाता हे उसी तिहाड़ जेलमे जी हा आपने सही पहचाना ये कहानी हे शेर सिंह राणा की जो कीसी फिल्मी कहानी से कम नही हे

शेरसिंह राणा उरफ़े पंकज सिंह का जन्म 17 मई 1976 मे तब के उत्तर प्रदेश के रूरकी मे हुआ था जब शेर सिंह राणा सिर्फ चार साल के थे तब चमबल मे डंका बजता था कुख्यात डाकेट फूलन देवी का 1980 के दशक के शरूआत मे चंबल के बीहड़ों मे फूलन देवी दहेशत का दूसरा नाम थी आज भी चंबल के लोग फूलन देवी का नाम सुनकर सिहर उठते हे फूलन देविकों bandit queen के नाम से भी जाना जाता था उसने बहमई गावमे 22 राजपूतो को लाइनमे खडा कर के गोली मारदी थी जिसके बात्द फूलन देवीने आत्मसमर्पण कर लिया और उसके 11 साल जेल मे बिताने के बाद बाहर आई और राजनीति से जुड़कर संसद बनी चंबल मे घूमने वाली फूलन देवी आज दिल्लीके अशोका रोड के शानदार बंगलेमे रहने लगी थी तभी एक रोज शेर सिंह राणा फूलन को मिलने आया और फिर घर के गेट पर उसने फूलन को गोली मारदी और उसने कहा की बहमई गावमे मारे गए अपने राजपूत भइयो की मोत का बदला ले लिया था
फूलन देवी की हत्या के दो दिन बाद शेरसिंह राणा ने दहेरादून पुलिस को आत्म समर्पण कर दिया और अपना जुर्म स्वीकार कर लिया केस चलने तक अदालत ने शेरसिंह राणा को अदालत मे भेज दिया तिहाड़ जेलमे करीब ढाई साल रहने के दौरान राणा ने कहा था की तिहाड़ की सलाखे उसे ज्यादा दिनो तक नही रोक पाएँगी और हुआ भी एसा समयने करवट ली और लगभग तीन साल बाद 17 फरवरी 2004 को राणा फिल्मी अंदाज मे तिहाड़ जेलसे फरार हो गया भारत के सबसे सुरक्षित जेलमे से किसी केदि का फरार हो जाना अपने आपमे बहोत बड़ी बात थी इसीलिए राणा अचानक अखबार की सुर्ख़ियो मे आ गया था

उस दिन हुआ एसा था की पुलिस की वर्दी मे 3 अज्ञात लोग तिहाड़ जेल मे पहोचे और उन्होने तिहाड़ के अधिकारियों से कहा की वह एक केस के सील सिले मे हरिद्वार की अदालत मे पेशी के लिए शेर सिंह राणा को लेने आए थे वह अपने साथ हथ कड़ी और अदालत मे राणा के पेशी के ऑर्डर की कॉपी भी लेकर आए थे तिहाड़ जेलके अधिकारियों ने उस कॉपी को देखकर शेर सिंह राणा को अपनी बेरेक से निकाल कर उन फर्जी पुलिस वालो के हवाले कर दिया जो की राणा के साथी थे वह तुरंत ही राणाको लेकर वह से चले गए बादमे जब मामले का खुलासा हुआ तब पूरे तिहाड़ जेल के साथ साथ देश मे हड़कंप मच गया था हालकी उसके 2 साल बाद 17 मई दो हजार 6 को कलकत्ता से राणा को फिरसे गिरफ्तार भी कर लिया गया था लेकिन ये कहानी हे इन दो सालो की जब वह जेलसे फरार थे
जेसे की आप सब लोग जानते हे की भारत की भूमि ने बहोत वीर लोगो को जन्म दिया हे उनहीमे से धरतिमे के वीर सपूत थे पृथ्वीराज चौहान जो की हिंदुस्तान के आखरी हिन्दू सम्राट थे कंधार विमान हाई जेक के मामले मे तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह अफ़्घनिस्तान गए थे तब महम्मद घोरी के द्वरा मारे जाने वाले पृथ्वीराज चौहान की समाधि की जानकारी खुद तालिबान की सरकारने उन्हे दी थी पृथ्वीराज चौहान की समाधि अफहनिस्तान मे मोजूद थी और वह भी महमद घोरी की कब्र के पास थी उस समय मे कब्रस्तान मे एक परंपरा थी की जो लोग कब्रस्तान मे आ रहे हे
उन्हे सबसे पहले पृथ्वीराज की समाधि का अपमान जूतो से करना पड़ेगा जब वापिस आकर जसवंत सींगने यह बात मीडिया को बताया तब भारत भर के मीडिया चेनलों ने इस बात को बढ़ चद कर सबको दिखाया फिर क्या आम आदमी और क्या नेता उन सब लोगो ने पृथ्वीराज की अस्थी भारत मे लाने की वकालत तो की लेकिन प्रयास करने की जहेमत शायद किसिने नहीं उठाई थी लेकिन जब शेर सिंह राणा को इस बात का पता चला तब उन्होने सम्राट पृथ्वीराज चौहान की अस्थि सन्मान समेत भारतमे लाने का प्रण लिया जेल से भागने के बाद उसने राची मे सबसे पहले अपना फर्जी पासपोर्ट बनवाया और कोलकता पहोच गया जहा से राणा ने बंगला देश का वीसा बनवाया और पहोच गया बांग्लादेश जहा राणा ने फर्जी दस्तावेजो की मदद से यूनिवर्सिटी मे दाखिला लिया और इसी दौरान उन्होने अफघानिस्तान का वीसा बनवाया और फिर राणा ने कदम रखा

अफ़ग़ानिस्तान मे वह पहोच कर राणा काबुल और कंधार से होते हुए गजनी पहोचे जहा महम्मद घोरी और पृथ्वीराज चौहान की समाधिया बनी थी तालिबानों की ईस जमीन पर हर कदम पर खतरा था इस तरह तालिबानों के गढ़ मे शेरसिंह राणा ने वहा एक माह गुजारा और पृथ्वीराज चौहान की समाधि को खोजते रहे और आखिरमे वह जगज मिल ही गई और शेरसिंह ने वह पृथ्वी राज चौहान का अपमान अपनी आंखो से देखा और अपने केमरे मे केद किया राणा ने बिना डरे जान हथेली पे लिए लिए उनके अस्थिको निकालने की पूरी प्लानिंग अच्छे से की फिर आया वो दिन जब राणा ने अपने प्लान के मुताबिक पृथ्वीराज की समाधि की खुदाई की और उनके अवशेषो को सन्मान पूर्वक भारत ले आए और इस पूरी घटना को अंजाम देने के लिए उन्हे वह तीन माह का वक्त लगा राणा ने इस पूरी घटनाक्रम की वीडियो भी बनाई ताकि वो अपनी बात को प्रमाणित कर सके बाद मे राणा ने अपनी माँ के मदद से गाजियाबाद के पुलखुया मेपृथ्वीराज चौहान का मंदिर भी बनवाया जहा पर उनकी अस्थीय भी रखी गयी थी
उसके बाद राणा जब वापिस कोलकता आए तो वह एकबार हिन्दी अखबार लेने के लिए गए तब वह की पुलिस को पता चला की यहा पर कोई हिन्दी अखबार खरीद रहा हे और इसी वजह से पुलिस ने राणा को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हे वापिस तिहाड़ भेज दिया और वह पर उन्होने ने एक किताब लिखी जिसका नाम था जेल डायरी और उनके ऊपर एक फिल्म भी बनी हुई हे जिसका नाम एंड ऑफ बेनडिट क्वीन हे जिस्मे शेर सिंह राणा का किरदार अभिनेता नवाजुद्दीन सिडिकी ने निभाया हे